अल्मोड़ा-हिल्स कॉन्टैक्टर वेलफेयर एसोसिएशन अल्मोड़ा के बैनर तले आज जिला अल्मोड़ा के पंजीकृत ठेकेदारों ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर समस्याओं के समाधान की मांग की। उनके द्वारा कहा गया कि यदि अविलंब समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो समस्त ठेकेदार संबंधित विभागों में तालाबंदी करने को मजबूर होंगे।ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि प्रदेश के विकास कार्य अपने साधन संसाधन से पूरा करके सरकार को मजबूत बनाने वाले पंजीकृत ठेकेदार आज बहुत सी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।उन्होंने मांग की कि प्रदेश में निविदा छोटी लगनी चाहिए एवं फेज प्रथम व द्वितीय के कार्य छोटे हिस्सों में विभक्त होकर एक साथ लगने चाहिए जिससे डी और सी श्रेणी के ठेकेदार ज्यादा से ज्यादा काम कर सके।पांच करोड़ तक के कार्य सिंगल बिड में लगने चाहिए एवं दस करोड़ तक के कार्य उत्तराखंड मूल के निवासियों को मिलने चाहिए। इसके लिए मूल निवास स्थाई निवास लागू होना चाहिए।निवदाओं में अतिरिक्त शर्तें लगाकर व्यक्ति विशेष को लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। पीसी कार्यों में हाट मिक्स प्लांट, मैटेरियल व पैवर मशीन को हटाया जाए।लंबे समय से लंबित भुगतान तुरंत हो।आपदा कार्यों का वह पार्षिक अनुरक्षण भुगतान 2021-22 से अब तक लंबित है।ऑफलाइन सिक्योरिटी डिपाजिट का भुगतान तुरंत करें।इसके साथ ही कहा गया कि पंजीकरण पूर्व की भांति सरल होना चाहिए। टेक्निकल स्टाफ की अनिवार्यता समाप्त होनी चाहिए।प्रत्येक ठेकेदार का स्थाई तौर पर टेक्निकल स्टाफ नियुक्त करना व्यावहारिक नहीं है। पंजीकरण कम से कम पांच साल तक एवं एक प्रदेश एक नियम के तहत हो। इसके साथ ही ठेकेदारों के द्वारा खनन सामग्री सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त नदी स्टाक एवं क्रेशर से खरीदी जाती है जो खनन विभाग के नियमानुसार चल रहे हैं अतः ठेकेदारों से पुनः रॉयल्टी लेना तर्कसंगत नहीं है।पर्वतीय क्षेत्र में कार्य स्थल से पांच से दस किलोमीटर दायरे में क्वेरी की अनुमति मिलनी चाहिए।निविदा में अनुभव की सीमा नहीं होनी चाहिए सदैव ठेकेदार को कम मिले या संभव नहीं है।इसके साथ ही आपदा कार्यों में लगी मशीन व लेबर को बीमा कवरेज मिलना चाहिए एवं ठेकेदार की आकस्मिक मृत्यु पर उनके देयक बिना अर्थदंड के भुगतान होने चाहिए। प्रत्येक कार्यदायी खंड में ठेकेदारों के बैठने हेतु कक्ष होने चाहिए।किसी भी शासनादेश लागू होने के बाद जो निविदा आमंत्रित होती है उनके बिलों में वह लागू होना चाहिए।निविदा धन की प्रत्याशा में नहीं बल्कि धन प्राप्ति के बाद आमंत्रित होनी चाहिए।केंद्र पोषित योजनाओं के कार्यों में अधिक से अधिक कार्य प्रदेश के स्थानीय ठेकेदारों को मिलने चाहिए।ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि यदि ठेकेदारों की समस्याओं का अतिशीघ्र समाधान नहीं किया गया तो ठेकेदार निविदा बहिष्कार के साथ कार्य बहिष्कार एवं अनशन करने के लिए बाध्य होंगे। ज्ञापन एवं प्रदर्शन में अध्यक्ष प्रयाग सिंह बिष्ट, महासचिव सुरेंद्र सिंह बेलवाल, उपाध्यक्ष अकरम खान, गोपाल सिंह चौहान,कोषाध्यक्ष जगदीश चंद्र भट्ट, उप सचिव जितेंद्र सिंह, मीडिया प्रभारी पुरन पालीवाल के अलावा पूरन सिंह मेहरा विधि सलाहकार उत्तराखंड महासंघ,संजय सिंह बोरा,महेंद्र पाल सिंह,जुगल किशोर,गौरव भट्ट,हीरा सिंह बिष्ट, शिवराज सिंह,गोपाल सिंह,अमर बिष्ट,अकरम खान,संदीप श्रीवास्तव, रोहित रौतेला ,संतोष बिष्ट ,नरेंद्र सिंह, देवेंद्र सिंह बिष्ट ,गोपाल सिंह,जगत भट्ट ,भगवान सिंह,संजय मटेला,लाल सिंह जलाल, नंदन सिंह बिष्ट ,मनोज नेगी ,संजय जोशी ,हरगोविंद सिंह, उम्मेद अधिकारी, कैलाश सिंह अधिकारी ,भीम सिंह कार्की ,खीम सिंह,गंगा सिंह बिष्ट ,जीवन सिंह, विपिन बिष्ट ,किशन सिंह सहित दर्जनों ठेकेदार उपस्थित रहे।