अल्मोड़ा-एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन कुमाऊं मण्डल नैनीताल के पूर्व मंडलीय सचिव व पूर्व अध्यक्ष फैडरेशन कुमाऊं मण्डल नैनीताल ने कहा कि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद के सम्मान के साथ कोई छेड़छाड़ की गई तो आंदोलन होगा।धीरेन्द्र कुमार पाठक ने राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के बयान की कड़ी निन्दा की है जिसमें उनके द्वारा मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद को समाप्त करने व आहरण वितरण अधिकार को समाप्त करने की बात कही गई है।श्री पाठक ने कहा कि मिनिस्ट्रीयल संवर्ग किस प्रकार दिन भर की दौड़-धूप के बाद वेतन आहरण का काम करते हैं यह देखने वाला कोई नहीं है।आहरण वितरण अधिकारी नहीं होने के कारणों से राजपत्रित अधिकारी मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को आहरण वितरण अधिकार दिया गया है।आहरण वितरण के लिए इस बात का तो इंतजार नहीं किया जा सकता है पहले प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति होगी फिर वेतन आहरित होगा।आहरण वितरण अधिकारी के पास जाने के लिए एक माह में कम से कम 6 बार 40-50 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है।मिनिस्ट्रीयल संवर्ग का कार्मिक बंधुआ मजदूर नहीं है जो दिन रात रोड में ही दौड़ लगाते रहे एक एक साइन करने भारी पड़ जाते हैं।इसी बात को ध्यान रखते हुए मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को राजपत्रित अधिकारी बनाया गया है वह भी राजपत्रित अधिकारी के पद पर पांच वर्ष की पूर्ण सेवा पर।इतना होने के बाद भी इस संवर्ग का विरोध किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।आर पार का संघर्ष जरूरी है।सभी पदाधिकारियों को एलर्ट मोड पर जाना चाहिए।मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद को समाप्त करने की बात निंदनीय है।इस का पूर्ण विरोध किया जायेगा। दुनिया की कोई भी ताकत इस पद को समाप्त नहीं कर सकती हैं।मिनिस्ट्रीयल संवर्ग द्वारा यह पद अपने कैडर में पदों पर स्टाफिंग पैटर्न के आधार पर लिया है।लगभग 30-35 वर्ष की सेवा पर यह पद मिला है इसका अपमान करना किसी को शोभा नहीं देता।प्रधानाचार्य द्वारा एकादमिक कैडर लिया गया है तो उनका दो दावा ही इस पद पर नहीं है।किसी भी कार्यालय का चार्ज सीनियर अधिकारी के स्थानांतरण होने पर वरिष्ठ अधिकारी को दिया जाता है ऐसे में दूसरे कार्यलय के अधिकारी को चार्ज देने का सवाल ही उत्पन्न नहीं होता है। मिनिस्ट्रीयल संवर्ग का इतिहास रहा है कि जो भी दायित्व दिया जाता है उसे जिम्मेदारी के साथ निभाते हैं।संवर्ग विशेष को ही राजपत्रित अधिकारी का पद हजम नहीं होता है यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।विभाग और शासन को भी शैक्षिक व प्रशासनिक कैडर के दृष्टिगत निर्णय लेना चाहिए न कि किसी संगठन के दबाव में।विभाग द्वारा मिनिस्टीरियल कार्मिकों के अधिकारों में कटौती की गई तो आंदोलन किया जायेगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी विभाग की होगी।
मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद के सम्मान के साथ छेड़छाड़ हुई तो होगा आंदोलन-पाठक
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