अल्मोड़ा-श्री नंदादेवी रामलीला कमेटी के तत्वाधान में रामलीला मंचन के तृतीय दिवस में सीता स्वयंवर (धनुष यज्ञ) और परशुराम लक्ष्मण संवाद मुख्य आकर्षण रहे। नंदादेवी मंदिर प्रांगण में 160 वर्षों से अधिक समय से रामलीला मंचन किया जाता रहा है। कुमाऊं की सबसे प्राचीनतम और एतिहासिक रामलीला के तृतीय दिवस की लीला का उदघाटन नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रामलीला समाज में मानवता और जीवन के सार्थक मूल्यों का सन्देश देती है। प्रभु श्री राम का जीवन आदर्शों से भरा हुआ है, उनके जीवन में त्याग व अपने वचन के पालन के लिए कठोरतम कष्ट सहन करने की शक्ति भी दिखाई देती है। आज के युग में हम सभी को प्रभु श्री राम के जीवन चरित्र को आत्मसात करने की आवश्यकता है और नई पीढ़ी को श्रीराम के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में सभासद राजेंद्र तिवारी, रमा जोशी भाजपा जिला कार्यकारणी सदस्य,
दि कूर्मांचल नगर सहकारी बैंक लि. के शाखा प्रबंधक हिमांशु साह, रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के शाखा प्रबंधक कमल साह, वरिष्ठ पत्रकार किशन जोशी, मनी नमन, उपस्थित थे।समिति के अध्यक्ष कुलदीप सिंह मेऱ द्वारा सबका स्वागत किया गया।खचाखच भरे मंदिर प्रांगण में सीता स्वयंवर और लक्ष्मण परशुराम संवाद का लोगों ने खूब आंनद उठाया।
जनक की भूमिका में शशि मोहन पांडे, राम की भूमिका में हर्ष जोशी, लक्ष्मण की भूमिका में अभिनव मेहरा, सीता की भूमिका में किरन परगाई, विश्वामित्र द्रोण नेगी, सुनैना की भूमिका के प्रेरणा कांडपाल, रावण की भूमिका में हरी विनोद साह, बन्दीजन की भूमिका में शेखर सीजवाली, सिद्धार्थ साह, नेपाली राजा नीरज कुमार, कुमाऊनी राजा दीपक तिवारी, कालाधारी राजा की भूमिका में जगदीश बिष्ट, हिमांचली राजा पार्थ पांडे, घमंडी राजा दीवान बिष्ट, बाणासुर की भूमिका में हेमंत मेहरा, शिव की भूमिका में समिति के कोषाध्यक्ष धनंजय साह और परशुराम का अभिनय परितोष जोशी ने किया। साज पर अमित बुधोड़ी, शेखर सीजवाली और अनिल सनवाल रहे।
इस अवसर पर अतुल वर्मा, महेंद्र सिंह बिष्ट, संदीप साह, राजेश पलनी, हरीश बिष्ट, कविश अरोरा, राजकुमार बिष्ट, गणेश मेऱ, राजेंद्र रौतेला, मोहन जोशी, भावना वर्मा, सुमन सनवाल, दीपक वर्मा, लोकेश तिवारी, संजय साह, संतोष मिश्रा, नवल बिष्ट, चंद्र मोहन परगाई, गोलू भट्ट, विशाल जोशी, नमन बिष्ट, आदित्य बिष्ट, आयुष वर्मा समेत समिति के सभी पदाधिकारी और सदस्य रामलीला मंचन में शामिल रहे।
बोलत नाही विचारी वचन सठ,परशुराम को लक्ष्मण पर आया क्रोध
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